‘अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥’
– _स्रोत: अलङ्कारमणिहारः (भागः ३) उल्लाससरः_
हिंदू धर्मानुसार सात चिरंजीवी महामानव – द्रोणपुत्र अश्वत्थामा, राजा बलि, ऋषी व्यास, केसरी नंदन हनुमान, राम भक्त विभीषण, कौरव कुलगुरु कृपाचार्य एवं विष्णु के षष्ठम अवतार परशुराम, आज भी इस धरा पर उपस्थित हैं।
अष्ट सिद्धि के स्वामी, दिव्य शक्तियों के धारक। कालजयी। कल्पान्त तक जीवित रहने के वचन से बद्ध अथवा श्रापित।
कालान्तर में इन सप्त चिरंजीवियों के समय समय पर दृष्टिगत होने के असत्यापित किन्तु दृण प्रमाण मिलते रहे हैं।
इसी क्रम में एक है ‘ईश्वरा महादेव’।
मध्य प्रदेश के मुरैना के निकट पहाड़गढ़ के सुदूर वन में प्राकृतिक झरने के नीचे विराजमान शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसकी स्थापना विभिषण जी ने की थी। कहते हैं कि यहां कोई अदृश्य शक्ति ब्रम्हमुहूर्त में शिव की पूजा-अर्चना, विशेषकर श्रावण मास में, कर जाती है। दर्शनार्थियों को प्रतिदिन शिवलिंग पर स्वय्मेव चढ़े हुए तीन से इक्कीस पत्तों वाले बेलपत्र एवं पुष्प मिलते हैं। ये पूजा कौन करता है, इससे जाने का हर प्रयास असफल हुआ। कहते हैं कि प्रतिदिन यहां शिव की ये पूजा स्वयं विभिषण करते हैं।
अलौकिक।